Wednesday, August 15, 2012

आस्ट्रेलिया उच्चतम न्यायालय का स्वागत योग्य फैसला..


    आस्ट्रेलिया उच्चतम न्यायालय का स्वागत योग्य फैसला..



आस्ट्रेलिया के उच्चतम न्यायालय ने एक स्वागत योग्य फैसला देते हुए आस्ट्रेलिया सरकार के उस क़ानून को रद्द करने से मना कर दिया है, जिसमें सिगरेट कंपनियों को सिगरेट के पैकेट के उपर ब्रांड नाम और लोबो लगाने से रोकने के साथ यह प्रावधान किया गया है कि ब्रांड नाम और लोबो की जगह उन्हें सिगरेट के पैकेट और सभी तरह के तम्बाखू उत्पादों पर तम्बाखू के दुष्प्रभावों को अनिवार्य रूप से दिखाना होगा


याने, अब आस्ट्रेलिया में सिगरेट के पैकेटों और तम्बाखू के पैकेटों के उपर विकृत मुँह, अंधी आँखे और जले हुए कलेजे दिखाने होंगेयह क़ानून आस्ट्रेलिया में इसी वर्ष दिसंबर से लागू होगाभारत में सिगरेट के पैकेट और तम्बाखुओं के पैकेट पर पर केंसरग्रस्त फेफड़ा तो छपा रहता है, लेकिन ब्रांड नाम और सिगरेट का नाम उससे ज्यादा बड़े में रहता है भारत में आज सिगरेट के समकक्ष क्या बल्कि उससे भी बड़ी समस्या के रूप में जर्दा युक्त गुटखे के कारण फैला हुआ केंसर है अनेक राज्यों में इस पर बेन लगाया जाता है और कभी कोर्ट के आदेशों से और कभी गुटखा लाबी के दबाव में इसे उठा भी लिया जाता है


अभी कुछ दिनों पूर्व का वाकया है, एक लड़के को, जो मुश्किल से 18/19 वर्ष का होगा, मैंने देखा कि उसका मुँह बिलकुल नहीं खुल रहा था और बात करने से उसकी बातें आसानी से समझ में नहीं आती थींउसके पिता ने बताया कि वो लगभग पिछले पांच सालों से गुटखा खा रहा है और इतना एडिक्ट हो चुका है कि कहता है कि मर जाऊँगा, पर गुटखा नहीं छोडूंगा यह तो अच्छा है कि छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने अभी लगभग 15/20 दिनों पूर्व से गुटखे की बिक्री पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगाया हैपर, अभी भी गुटखा ब्लेक में ज्यादा दामों में आसानी से मिल रहा है ऐसा नहीं कि इस प्रतिबन्ध को हटाने के लिए गुटखा लाबी दबाव नहीं बना रही है, पर, अभी तक राज्य सरकार गुटखा लाबी के दबाव में आई नहीं है


गुटखे से जुड़ा एक अचंभित करने वाला तथ्य यह भी है कि इसका अधिकाँश काम नंबर दो में होता हैइसका पता, तब चला, जब राज्य सरकार ने बेन लगाया तो गुटखा लाबी की तरफ से कहा गया कि इससे पूरे प्रदेश में लगभग 100 करोड़ का डंप पड़ा माल खराब हो जाएगा, जबकि सरकार के अनुमानों के हिसाब से ये लगभग 50 करोड़ सालाना का ही व्यवसाय था


भारत में जब सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर सिगरेट पीना प्रतिबंधित किया तो शुरुवात में काफी हायतौबा मची, लेकिन आज यह एक सुखद स्थति है कि ट्रेन, बस, पार्क, अस्पताल इत्यादि स्थानों पर आपको सिगरेट पीते व्यक्ति कम ही मिलेंगे ऐसा ही कदम गुटखे के मामले में पूरे देश में उठाने की जरुरत है सिगरेट और गुटखे का एक खतरनाक पहलू यह भी है कि गरीब और मध्यम तबके के लोगों की आय का एक बड़ा हिस्सा परिवार और बच्चों पर खर्च होने की बजाय, इस व्यसन पर खर्च हो जाता है, जिसे सख्ती करके रोका जा सकता है क्या देश का सुप्रीम कोर्ट इस तरफ भी ध्यान देगा?


अरुण कान्त शुक्ला
15 अगस्त, 2012

No comments: