Saturday, June 30, 2012

खुदा से भी बड़ा शैतान -


खुदा से भी बड़ा शैतान

बागीचे में फूलों को जब मनाही है खिलने की,
तो कमबख्तों, तुमने ये पौधे रोपे क्यों हैं,

राजा को एतबार होता है, अपने जिस पैदल पे,
खजाने से उसी को विकलांगता वजीफा मिलता है,

रोका जिसने हमारे घरों की तरफ, हवा पानी का बहना,
वो कमबख्त, खुदा से भी बड़ा शैतान है,

हमने जब भी माँगा है, सबकी खैरियत माँगी है,
खुदा उन्हें खैर बख्शे, जो हमारी खैर नहीं चाहते,    

वो आये कि जिंदगी गुजारेंगे, लोगों का आज बदलने में,
उन्होंने ‘आदित्य’ जिंदगी गुजार दी, खुद के हालात बदलने में,

अरुण कान्त शुक्ला          

Friday, June 22, 2012

निजी अस्पतालों में हड़कंप क्यों ...


गर्भाशय निकालने के धंधे में चार डाक्टरों का पंजीयन निलंबित-

10 और डॉक्टरों को नोटिस,

9 नर्सिंग होम का राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना अनुबंध रद्द,
ब्लेक लिस्टेड,

निजी अस्पतालों में हड़कंप,


राज्य शासन ने केंसर का भय दिखाकर गर्भाशय निकालने के मामले में रायपुर के चार डाक्टरों का पंजीयन छत्तीसगढ़ मेडिकल काउन्सिल से निलंबित कर दिया है फिलहाल वे देश में कहीं भी मेडिकल प्रेक्टिस नहीं कर पायेंगे केंसर का भय दिखाकर गर्भाशय निकालने के प्रकरण में फंसे डॉक्टरों का निलंबन छत्तीसगढ़ मेडिकल काउन्सिल एक्ट की धारा 17 के तहत किया गया है यह धारा डॉक्टरी पेशे में अनैतिक कृत्य के आरोप में दोषी पाए जाने के बाद की जाती है स्वास्थ्य विभाग के संचालक डॉ. कमलप्रीत सिंह ने गुरूवार देर रात राजधानी रायपुर के आशीर्वाद इन फर्टिलिटी एंडोस्कोपी सेंटर डंगनिया की डॉ. नलिनी मढ़रिया, कर्मा हास्पिटल तेलीबांधा के संचालक डॉ. धीरेन्द्र साव, जैन हास्पिटल देवेंद्रनगर के डॉ. नितिन जैन और सिटी हास्पिटल न्यू राजेन्द्र नगर की डॉ. मोहनी इदनानी के पंजीयन निलंबित करने के आदेश दिए डॉ. सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने इन सभी के खिलाफ बिना कारण छोटी उम्र की महिलाओं के गर्भाशय निकालने के आरोप में कार्रवाई की है


शुक्रवार, 22,जून’2012 को जिन दस और डॉक्टरों को नोटिस जारी किये गये हैं, उनमें राजधानी के अलावा अभनपुर और नवापारा राजिम के डॉक्टर शामिल हैं रायपुर जिले के जिन निजी डॉक्टरों को नोटिस जारी किया गया है, उसमें भक्त माता कर्मा हास्पिटल राजिम व सेवा सदन हास्पिटल अभनपुर के डॉ. पंकज जायसवाल, स्वामी नारायण हास्पिटल पचपेड़ी नाका डॉ. ज्योति दुबे, लाईफ लाइन नर्सिंग होम शैलेन्द्र नगर के डॉ. जी.पी.एस सरना, मिस कौर अस्पताल नवापारा राजिम की डॉ. गुरमीत कौर, विद्या सागर नर्सिंग होम नवापारा की डॉ. नीना जैन, सोनी मल्टी स्पेशिलिटी अभनपुर के डॉ. प्रज्जवल सोनी, महामाया नर्सिंग होम अभनपुर की डॉ.नीतू जैन, सोनी एंड कौर नर्सिंग होम राजिम की डॉ. प्रज्जवल सोनी और गुरमीत कौर एवं हरी अस्पताल अभनपुर के डॉ. एस.एल.तिवारी शामिल हैं स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इन सभी से 26 जून को पूछताछ की जायेगी| स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि डॉक्टरों को नोटिस हाथो हाथ दिए जाने का प्रबंध किया गया ताकि बाद में कोई डॉक्टर यह न कह सके कि उसे नोटिस नहीं मिला है


फिलहाल स्वास्थ्य विभाग ने एक और कड़ा कदम उठाते हर राजधानी रायपुर, अभनपुर और राजिम के 9 नर्सिंग होम को ब्लेक लिस्टेड करते हुए उनका राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का अनुबंध रद्द कर दिया हैजिन नर्सिंग होम को ब्लेक लिस्ट करके उनका राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का अनुबंध रद्द किया गया है, उनमें राजधानी के देवेन्द्र नगर स्थित जैन हास्पिटल, आशीर्वाद इन फर्टिलिटी इंडो स्कोपि सेंटर डंगनिया, माता रानी सेवा सदन राजिम, सोनी मल्टी स्पेशिलिटी सेंटर अभनपुर का योजना से संलग्नीकरण खत्म किया है तो अंचल नरसिंग होम महावीर नगर, स्वामी नारायण हास्पिटल पचपेड़ी नाका और छत्तीसगढ़ हास्पिटल राजिम के राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में शामिल होने के आवेदन निरस्त किये गये हैं ये सभी ब्लेक लिस्ट कर दिए गये हैं            



मैंने, अपनी पिछली पोस्ट छत्तीसगढ़ में केंसर का भय दिखाकर गर्भाशय निकालने का धंधा में बताया था कि राजधानी के कुछ प्रतिष्ठित चिकित्सों और चिकित्सा व्यवसाय से जुड़े लोगों तथा कुछ भुक्त भोगियों का कहना है कि राज्य के शहरी क्षेत्र में तो स्त्रियों के गर्भाशय निकालने का यह धंधा पिछले काफी सालों से जमकर चल रहा है ग्रामीण क्षेत्रों में इसका विस्तार पिछले कुछ वर्षों में हुआ है, जहां छोटे डाक्टर, निजी नर्सिंग होम के दलाल और कुछ मामलों में मितानिनें भी इसमें शामिल हैं। अब स्वास्थ्य विभाग की जांच के बाद जो तथ्य सामने आये हैं, उनका सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में इस धंधे का विस्तार पिछले लगभग तीन वर्षों में ही सबसे अधिक हुआ है, याने राज्य में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के लागू होने के बाद। केंसर का भय दिखाकर गर्भाशय निकालने के अधिकाँश ऑपरेशन राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत किये गये हैं। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा एकत्रित जानकारी के अनुसार राज्य के विभिन्न नर्सिंग होम में पिछले ढाई साल में सात हजार से ज्यादा ऑपरेशन राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत किये गये हैं। इसके लिए शासन के माध्यम से इंश्योरेंस कंपनी ने 7 करोड़ 75 लाख का भुगतान किया। जांच में यह भी पता चला कि नर्सिंग होमों को विभिन्न मदों के लिए जितना भुगतान किया गया है, उसका 70% केवल गर्भाशय की सर्जरी के लिए दिया गया  राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना प्रदेश में अक्टोबर’2009 से लागू हुई। इसके तहत गरीबी रेखा से नीचे आने वाले परिवारों ने स्मार्ट कार्ड के माध्यम से ऑपरेशन के खर्च का भुगतान किया है। याने, जो योजना गरीबों को सहायता पहुंचाने और जरूरी स्वास्थ्य रक्षा के लिए लाई गई थी, वो समाज के इस सबसे ज्यादा सम्मानित समझे जाने वाले तबके के हाथों में पड़कर गरीबों का ही खून चूसने वाली योजना में तब्दील हो गई। कुछ विशेषज्ञों का ऐसा कहना है कि कम उम्र में गर्भाशय निकालने से हारमोन का संतुलन शरीर में बिगड़ जाता है और समय से पहले बुढ़ापा आने के साथ साथ अन्य दूसरी समस्याएँ भी खड़ी हो जाती हैं। पर, जब डॉक्टरी पढ़ने के बाद ली जाने वाली पाखंडी शपथ को पाखंडी ही साबित करते हुए अपने ज्ञान को उपभोक्ता सामग्री बनाकर, बेचकर, मुनाफ़ा कमाने का भूत सिर पर चढ़ जाए तो इंसानियत, सेवा और भलमनसाहत जैसी बातें ओछी लगने लगती हैं। और जैसा कि मैंने प्रथम बार इस विषय पर रिपोर्टिंग करते हुए कहा था, तब, सर्जन, सर्जन नहीं रहता, दर्जी हो जाता है और रोगी रोगी नहीं रहता कपड़ा हो जाता है, जिसे काटकर, सिलकर, सीखे हुए पेशे से ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाया जा सकता है।      


जांच में खुलासे के बाद से निजी अस्पतालों में हड़कंप मचा है और वो अपने को किसी भी तरह से बचाने के प्रयास में लगे हैं। कुछ अस्पताल के संचालक स्वास्थ्य विभाग के चक्कर भी लगा रहे हैं। राज्य शासन के अभी तक के रुख और स्वास्थ्य विभाग के द्वारा की गई कार्रवाई को देखते हुए ऐसा लगता है कि इस मामले में कोई ढिलाई नहीं बरती जायेगी। विशेषकर, अब इस मामले को मीडिया में भी तवज्जो मिलने के बाद पूरे मामले को ऐसे ही दबाना संभव नहीं दिखता है। स्वास्थ्य विभाग से छनकर आने वाली खबरों के अनुसार लगभग 200 अस्पतालों की सूची बनाई जा रही है। इन अस्पतालों को जल्द ही नोटिस जारी करके पूछताछ के लिए बुलाया जायेगा। कहा जा रहा है कि इन अस्पतालों में भी जबरिया गर्भाशय निकालने की शिकायते हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम फिलहाल दौरे करके मरीजों से पूछताछ  कर रही है और उसी आधार पर आगे की कार्रवाई करने की योजना बना रही है। इस पूरे मामले में चिकित्सा जगत की बड़ी बड़ी हस्तियों के चपेटे में आने के आसार के चलते सभी तरफ से राजनीतिक दबाव बनने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। जानकार लोगों का कहना है कि गर्भाशय के ऑपरेशन तो केवल एक बानगी है। छत्तीसगढ़ में, चाहे वो कैसे भी ऑपरेशन हों, 70% ऑपरेशन फिजूल ही किये जाते हैं और यह सब कार्टेल बनाकर किया जाता है।

Saturday, June 16, 2012

प्रणव से गोल्डन हेंडशेक -


       प्रणव से गोल्डन हेंडशेक-

गांधी परिवार का आख़री संकट भी दूर-

अंततः, प्रणव मुखर्जी को राष्ट्रपति भवन की मनपसंद lलॉन पर टहलने का मौक़ा मिल रहा है और सोनिया गांधी को प्रणव मुखर्जी से निजात मिल रही है

भारत में राष्ट्रपति का पद संवैधानिक प्रमुख होने के बावजूद, अधिकार विहीन सम्मानीय पद है बजट सत्र में सरकार की तरफ से लिखकर दिए गये भाषण को पढ़ने और गणतंत्र दिवस पर परेड की सलामी लेने से ज्यादा कुछ करने को राष्ट्रपति के पास नहीं होता है राष्ट्रपति बनने वाला हर व्यक्ति कहता है कि वह रबर स्टाम्प नहीं होगा, लेकिन उसके पास सरकार की तरफ से निकले वाले फरमानों के ऊपर आधी रात को दस्तखत करने के अलावा और कुछ भी महत्वपूर्ण काम नहीं होता है या फिर, वह कोई निजी शौक पाल ले , जैसा कि अब्दुल कलाम साहब ने किया था, बच्चों और विज्ञान के ऊपर उपदेश देना प्रणव मुखर्जी को ऐसा कोई शौक है, इसका अभी तक तो कोई पता नहीं चला है  

तो, ये बाजार की भाषा में सरकार का प्रणव को गोल्डन हेंडशेक है बाजार(कांग्रेस के अंदर की राजनीति) के हालातों को देखते हुए प्रणव मुखर्जी ने इस गोल्डन हेंडशेक को स्वैच्छिक सेवानिवृति(Voluntary Retirement) में बदलकर एक तरह से ठीक ही किया है       

पिछले कुछ वर्षों में, खासकर पिछले पांच-छै वषों में, प्रणव मुखर्जी, कांग्रेस और विशेषकर यूपीए में संकट मोचक के रूप में पहचाने जाने लगे थे प्रणव मुखर्जी, जिन्हें कांग्रेस और यूपीए के लोग ही नहीं, अन्य राजनीतिक दलों के लोग भी प्रणव दा कहकर संबोधित किया करते हैं, स्वयं काँग्रेस याने कांग्रेस अध्यक्ष और उनके पुत्र राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने के रास्ते में कितना बड़ा संकट थे, ये किसी से भी कभी  छुपा नहीं रहा प्रणव मुखर्जी के लिए यही कम मुश्किल न था कि नब्बे के दशक के प्रारंभ में जब वे वित्त मंत्री और वह भी एशिया के सर्वश्रेष्ट वित्तमंत्री थे, तब के रिजर्व बैंक के गवर्नर मनमोहनसिंह के प्रधानमंत्रित्व में उन्हें पूरे आठ सालों से कार्य करना पड़ रहा है और वह भी तब जब भारतीय राजनीति का थोड़ा सा भी जानकार बिना लाग लपेट के कह सकता है कि केवल राजनीतिक मामलों में नहीं बल्कि आर्थिक मामलों और देश के हालातों को समझने के मामलों में भी वे प्रधानमंत्री से कहीं बहुत आगे हैं

अपने से अयोग्य के नीचे काम करना और वह भी अपनी पूर्ण योग्यता और क्षमता के साथ, जिसका पूरा फायदा उसे मिले, जो उतना योग्य नहीं है, इसकी कचौट भारतीय राजनीति में शायद प्रणव मुखर्जी से बेहतर कोई नहीं जानता होगा

यूपीए की बैठक में प्रणव का नाम घोषित होने के बाद एक टीवी चैनल ने प्रणव मुखर्जी के साथ लगभग 30 वर्षों से जुड़े उनके  पर्सनल स्टाफ के कर्मचारी का साक्षात्कार लिया तो उसने बेलाग बोला कि वो तो प्रणव मुखर्जी को प्रधानमंत्री देखना चाहता था, चूंकि वैसा नहीं हो रहा है, राष्ट्रपति ही सही जब प्रणव ने यह कहा कि उन्हें अपने घर के लॉन के चालीस चक्कर लगाने पड़ते हैं, जबकि राष्ट्रपति भवन के लॉन के केवल दो चक्कर लगाने पड़ेंगे, इसलिए वह उन्हें बहुत पसंद है तो उनकी चेतना में न केवल इंदिरा गांधी मृत्यु के बाद का अनुभव रहा होगा बल्कि वर्तमान का यथार्थ भी होगा कि यदि यूपीए-2, यूपीए-3 में पहुँचती है तो भी 7, रेसकोर्स का रास्ता उनके लिए नहीं खुलेगा और रायसेना हिल्स जाना ज्यादा बेहतर है यही कारण है कि उन्होंने 2009 में ही कह दिया था कि वे अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे

पिछले तीन वर्षों में मनमोहनसिंह के मंत्रिमंडल में प्रणव मुखर्जी और पी.चिदंबरम के बीच चल रही खटपट पर सोनिया गांधी की पैनी निगाह न रही हो, ऐसा हो नहीं सकता सोनिया गांधी को यह तो समझ में आ रहा होगा कि मनमोहनसिंह और उनके आर्थिक सुधार दो दशकों की यात्रा के बाद नौ दिन चले अढ़ाई कोस को प्राप्त हो चुके हैं और मनमोहनसिंह को बदलने का दबाव चारों तरफ से निरंतर बढ़ता जा रहा है एनडीए की बात छोड़ भी दें तो ममता और मुलायम का बार बार मध्यावधि चुनावों की बात करना, उस दबाव को बढ़ा ही रहा होगा चिदंबरम, फिलवक्त कोई बड़ी परेशानी की वजह इसलिए नहीं बन सकते कि क्योंकि वो 2009 के लोकसभा चुनावों के दौरान भ्रष्ट तरीके अपनाने, अपने लड़के को फायदा पहुँचाने और टू जी के मामलों में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं और एक प्रकार से उनकी नकेल कांग्रेस अध्यक्ष के हाथों में हैं  मनमोहनसिंह की खुद की कोई राजनीतिक वकत नहीं है और वो वैसे ही गांधी परिवार की सत्ता की आकांक्षाओं, भारत की राजनीतिक परिस्थितियों और वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ,अमेरिका के मध्य के समझौते की पैदाईश हैं तो, चाहे, प्रधानमंत्री को अभी बदलने का सवाल हो या आम चुनावों के बाद, यदि यूपीए सत्ता में लौटती है तो राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने के रास्ते में अगर कोई रोड़ा है,  तो वो प्रणव ही थे

तो, कांग्रेस और कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रणव मुखर्जी को राष्ट्रपति भवन के लॉन पर टहलने भेजकर, देश और यूपीए के घटकों को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि चाहे मध्यावधि चुनाव हों या आम चुनाव कौन कांग्रेस को लीड करेगा? भारत का अगला प्रधानमंत्री, यदि यूपीए सत्ता में वापस आती है, तो, वो राहुल गांधी ही होंगे, चाहे वो उसके लिए तैयार(योग्य)हों या न हों आप कह सकते हैं कि प्रणव कांग्रेस के गोल्डन हेंडशेक को स्वीकार करके गांधी परिवार का आख़री संकट भी दूर कर गये

अरुण कान्त शुक्ला       
            
  

Wednesday, June 13, 2012

छत्तीसगढ़ में केंसर का भय दिखाकर गर्भाशय निकालने का धंधा –


छत्तीसगढ़ में केंसर का भय दिखाकर गर्भाशय निकालने का धंधा –

राज्य सरकार ने राज्य स्तर पर जांच के आदेश दिए –

छत्तीसगढ़ के निजी नर्सिंग होमस् में लंबे समय से स्त्रियों को केंसर का भय दिखाकर गर्भाशय निकालने का काम धड़ल्ले से चल रहा थायहाँ तक कि 28-30 साल तक कि आयु वाली स्त्रियों के गर्भाशय भी अकारण निकाले गये20-25 हजार रुपये कमाने के चक्कर में केंसर का भय दिखाकर महिलाओं के गर्भाशय निकालने के इस धंधे में गाँव से लेकर शहर के बड़े नर्सिंग होमस् तक पूरे प्रदेश में बड़े बड़े रेकेट काम कर रहे हैं, कम से कम स्वास्थ्य विभाग की अभी तक की जांच में इसी तरह के तथ्य उभर कर सामने आये हैंयही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार, 11जून2012, को राज्य के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश जारी करके प्रदेश के सभी नर्सिंग होमस् से रिपोर्ट मंगाने का फैसला किया है कि उनके अस्पताल में कब और कितनी महिलाओं के गर्भाशय का आपरेशन किया गयाराज्य के हेल्थ कमिश्नर प्रताप सिंह ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र लिखकर इसके निर्देश दिए हैं

राजधानी के कुछ प्रतिष्ठित चिकित्सों और चिकित्सा व्यवसाय से जुड़े लोगों तथा कुछ भुक्त भोगियों का कहना है कि राज्य के शहरी क्षेत्र में तो स्त्रियों के गर्भाशय निकालने का यह धंधा पिछले काफी सालों से जमकर चल रहा है ग्रामीण क्षेत्रों में इसका विस्तार पिछले कुछ वर्षों में हुआ है, जहां छोटे डाक्टर, निजी नर्सिंग होमस् के दलाल और कुछ मामलों में मितानिनें भी इसमें शामिल हैं आश्चर्यजनक रूप से इस तरह के आपरेशन भी महिला सर्जनों के द्वारा ही किये जा रहे हैं

पूरे मामले का पर्दाफाश रायपुर जिले के अभनपुर ब्लाक के डोंगीतराई, हसदा और मानिकचौरी गाँव से हुआ, जहां पता चला कि एक दो साल के भीतर ही मात्र पीठ में दर्द की शिकायत करने पर ही अनेक स्त्रियों के गर्भाशय निकाल दिए गये हैं सभी मामलों में गाँव में घूमने वाले डाक्टरों के दलालों ने पीड़ित स्त्रियों की सोनोग्राफी करवाई सामान्य इनफेक्शन होने पर भी उन्हें केंसर का भय दिखाया गया और सर्जरी की सलाह दी गई ऑपरेशन करने से पहले यह भी गारंटी दी गई कि अब उन्हें सभी तरह की तकलीफों से मुक्ति मिल जायेगी इसके बाद कम उम्र की युवतियों के गर्भाशय भी निकल दिए गये इसमें से ज्यादातर ऑपरेशन रायपुर, राजिम, और अभनपुर के निजी अस्पतालों में किये गये जिन महिलाओं के आपरेशन किये गये, जब उनकी सोनोग्राफी रिपोर्ट एक स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. आशा जैन को दिखाई गयी तो उनका कहना था कि पीआईडी याने पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिसीज में जब तक अंदर से सॉलिड या काम्प्लेक्स का जिक्र नहीं होता है , सब नार्मल रहता है, जिसका मतलब है सर्जरी जरूरी नहीं है राजधानी के मेडिकल कालेज की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. तृप्ति नागरिया ने भी कहा कि सर्जरी करने के लिए केवल सोनोग्राफी की रिपोर्ट काफी नहीं है

मामला प्रकाश में आने के बाद मुख्य मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को जांच के आदेश दिए स्वास्थ्य विभाग ने उपर उल्लेखित गाँवों में जाकर सर्वे किया प्रारंभिक रिपोर्ट में ही इस बात की पुष्टि हो गई कि कुछ नर्सिंग होम संचालकों ने गर्भाशय निकालने को ही अपना धंधा बना लिया है जांच टीम के सामने 22-25 साल की महिलाएं भी आईं, जिनके गर्भाशय केंसर का भय दिखाकर निकाल दिए गये थे प्रारंभिक रिपोर्ट की गंभीरता को देखते हुए पूरे राज्य में जांच के आदेश राज्य शासन ने दिए हैं

एक भुक्त भोगी से संपर्क होने पर उसने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि वे अपनी पत्नी के ब्लड प्रेशर की जांच के लिए शहर के एक डी.एम के पास गये थे, जो मेडिकल कालेज में प्रोफ़ेसर होने के साथ निजी प्रेक्टिस भी करते थे डा. ने उनकी पत्नी को सोनोग्राफी कराने के लिए कहा| सोनोग्राफी देखने के बाद उन्होंने शहर की एक प्रतिष्ठित महिला सर्जन के नर्सिंग होम सोनोग्राफी दिखाने भेजा वो सज्जन हंसते हुए बताते हैं कि उस महिला सर्जन ने सोनोग्राफी रिपोर्ट देखी ही नहीं और कहा कि आप शाम को भर्ती हो जाईये, कल सुबह यूटरस निकाल देंगे, ये तो बेकार है आपके लिए, इसको रखने का क्या फायदा? उन्होंने फिर हंसते हुए कहा कि ये सर्जन दर्जी के समान हैं, जो काटना और सिलना जानता है ये मनुष्य को कपड़े से ज्यादा कुछ नहीं समझते, काटो और सिल दो उनके अनुसार हार्ट के मामले में इससे भी बड़ा गिरोह काम कर रहा होगा उन्होंने कहा कि आईएमए कितना भी आमिर खान को माफी माँगने कहे किन्तु देश के अनेक हिस्सों में यही हो रहा है


छत्तीसगढ़ के अंदर चलने वाला यह रेकेट इस बात का सबूत है कि स्त्रियाँ और बच्चे सभी तरह के अपराधियों के लिए बहुत आसान टारगेट होते हैं राज्य में इस कांड के भंडाफोड़ होने के बाद से चिकित्सा से जुड़े, माने जाने वाले, शख्सियतों को काफी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है आश्चर्यजनक रूप से इतना बड़ा भंडाफोड़ होने के बाद भी राज्य की सभी राजनीतिक पार्टियां खामोशी धारण किये हुए हैं, केवल पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का ही एक बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने पूरी निष्पक्ष जांच की मांग की है राजनीतिक और चिकित्सा के हलकों में यह भी चर्चा है कि इसमें अनेक नामी गिरामी चिकित्सीय शख्सियतों के शामिल होने के चलते, यह भी संभव है कि लंबे समय तक जांच पड़ताल चला कर पूरे मामले को दाखिल दफ्तर कर दिया जाए यदि ऐसा हुआ तो भी कोई आश्चर्य नहीं होगा क्योंकि छत्तीसगढ़ सभी तरह के अपराधियों के लिए स्वर्ग के समान है

अरुण कान्त शुक्ला