Saturday, April 14, 2012

कोई बाबा निर्मल नहीं --


कोई बाबा निर्मल नहीं -

कोई बाबा निर्मल नहीं
सब मन के बड़े मैले हैं ,
दौलत के ढेर पर बैठे
ये ठग बड़े लुटेरे हैं ,
व्यापार इनका धर्म है
धर्म का करते कारोबार ,
कोई पाप इनसे छूटा नहीं
ह्त्या हो या यौनाचार ,
लिंग भेद ये मानते नहीं ,
बच्चा हो या नार ,
आश्रम में इनके मरते बच्चे ,
रास रंग के इनके किस्से
गली गली में फैले हैं ,
कोई बाबा निर्मल नहीं
सब मन के बड़े मैले हैं ||



नेता अफसर चरण छूते ,
शासन इनका दास है ,
चोर उचक्के इनके चाकर ,
डाकू हत्यारे खास हैं ,
सब ओर फ़ैली बदहाली , तंगी ,
इन चोरों की ही है गिरोहबंदी ,
फंस जाते इनकी साजिश में
मेरे देश के लोग कितने भोले हैं ,
कोई बाबा निर्मल नहीं
सब मन के बड़े मैले हैं ||



एक ने सिखा सिखा कर योगा
धन अथाह है जोड़ा ,
विदेशी स्त्रियों के साथ नाच नाच कर
दूसरा सिखाये , ऐसे प्रेम कर ,
एक सुलझाए झगड़े अम्बानी के
तो , दूसरे के देखो पाठ ,
भूखों के देश में सिखाता है
जीने का आर्ट ,
सूची इनकी लंबी है ,
जगह की थोड़ी तंगी है ,
हम नहीं दे रहे किसी को ज्ञान ,
खोलो आँखें , दो थोड़ा ध्यान ,
इन बाबाओं के कारनामे बड़े काले हैं ,
दौलत के ढेर पर बैठे ,
ये ठग बड़े लुटेरे हैं ,
कोई बाबा निर्मल नहीं ,
सब मन के बड़े मैले हैं ||

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