Wednesday, July 31, 2013

बेटा करेगा स्टंट डैडी जाएंगे जेल




 यदि दिल्ली पुलिस बाईक पर चलने वाले इन आवारा शोहदों और उनके लापरवाह तथा पोलिस और प्रशासन को अपना गुलाम समझने वाले माँ-बापों के खिलाफ सच में सख्त होती है तो ये एक बहुत ही राहत भरा कदम होगा, जिसका पालन पूरे देश में किया जाना चाहिए| उस लड़के की मौत की वजह से अभी दिल्ली पोलिस को तथाकथित अच्छे लोगों से गाली खानी पड़ रही है, जिन्हें उन जैसे  बाईकर्स का आतंक अभी तक झेलना नहीं पड़ा है|  लेकिन सच यही है कि इन बाईकर्स ने आम लोगों विशेषकर महिलाओं, बच्चों  और बूढ़ों का सड़क पर चलना मुश्किल कर दिया है| | ये बीमारी , नव धनाड्यों की औलादों की बेजा हरकतों की,  मेट्रों से होते हुए छोटे शहरों और गांवों तक फ़ैल रही है| हाल ही में रायपुर में जितने भी नौजवानों के एक्सीडेंट हुए हैं, उन सब के पीछे  नव धनाड्य, संभ्रांत, संपन्न कहे जाने वाले घरानों के इन लड़कों का स्पीड और किसी को भी कुछ नहीं समझने वाला क्रेज ही है| रायपुर शंकर नगर रोड पर भी, जोकि काफी व्यस्त सड़क है,  इन बिगड़े  नवजवानों को मोटरसाईकिलों पर ऐसे करतब करते देखा जा सकता है| ये खुद तो मरते हैं, दूसरों की जिन्दगी को भी खतरे में डालते हैं| कोढ़ में खाज ये कि इनमें से कोई भी कमाई धमाई नहीं करता है| देश के लिए इनका एक पैसे का भी योगदान नहीं है, न तो टेक्स के रूप में और न किसी ओर तरह| जिस लड़के की मृत्यु हुई है, उसकी माँ अब रो रही है, लेकिन इतनी रात को उसका 19 साल का बेटा घर से गायब था, ये उसे नहीं मालूम था? क्या इस पर कोई विश्वास कर सकता है? एक और लड़के ने जिसे अपनी ड्यूटी के बाद घर जाना था घर पर फोन करके कह दिया की वो दोस्तों के साथ रात में आऊटिंग पर जा रहा है और सुबह वापस आयेगा| आप बताईये की ये कौन सा कल्चर है| उसके माँ ,बाप ने भी नहीं कहा  कि नौकरी के बाद घर वापस आओ| आऊटिंग पर जाना है तो उसका कोई  समय होना चाहिए| शहर की सड़कों पर लोगों को परेशान करते हुए सर्कस करना और बहादुरी दिखाना कौन सा भला और देशोपयोगी कार्य हैदिल्ली में ये रोज की घटनाएं हैं, आखिर पोलिस इनको कैसे नियंत्रण में लाये?  ये भाग जायेंगे , इनके तथाकथित संपन्न और रसूखदार बाप  इन्हें बचाने आ जायेंगे| ये दूसरे दिन फिर वही करेंगे और, और ज्यादा, दबंगई के साथ करेंगे| कुछ दिन पहले ही रायपुर में पंडरी बाजार में आधी रात को कुछ संपन्न घराने के लड़के पकड़ाए थे, जो शौकिया लोगों की कारों को तोड़ते थे और जब एक नागरिक ने इसे देखा और विरोध किया तो उन्होंने उस नागरिक के साथ मार पीट भी की| | इन संपन्न घरानों की औलादें  महिलाओं के गले से चेन खींचकर भागती हैं| ये कौन सा कल्चर है, जिसे हम बढ़ावा दे रहे हैं, कहीं तो रोक लगानी ही होगी| अपने बच्चों को अच्छा नागरिक और क़ानून का पालन करने वाला नागरिक बनाना माता-पिता के सामाजिक दायित्वों में है| यदि वे ऐसा नहीं कर रहे हैं तो उन्हें  सजा मिलनी चाहिए|
अरुण कान्त शुक्ला, 31जुलाई, 2013   


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