Tuesday, August 5, 2014

"खून पसीने की मिलेगी तो खाएंगे..नहीं तो यारो भूखे ही सो जाएंगे"



"खून पसीने की मिलेगी तो खाएंगे..नहीं तो यारो भूखे ही सो जाएंगे"

भारत की एक गुलाम देश के रूप में पहचान कायम रखने के लिए ही तो जाते हो कामनवेल्थ में खेलने के लिए..

ये तो अटल जी की राष्ट्रवादी सरकार से ज्यादा राष्ट्रवादी सरकार है..क्यों भेजा भारत से लोगों को खेलने के लिए ..अब तो ईटली वाली की सरकार नहीं है..शुद्ध साबरमती के जल की धुली सरकार है..इसे तो रोकना चाहिए था..

गोरों के देश में जाओगे और वो आपके साथ कोई नस्लवादी हरकत न करें ..ऐसा हो ही नहीं सकता..
वो जब आते हैं तो यहाँ होटल के कमरे में बैठकर गंगाजल पीते है और बाईबिल पढ़ते हैं..नहीं..पर यहाँ सब चलता है..

क्यों..क्योंकि उन्हें मालूम है कि भारत आजाद हो गया तो क्या हुआ..भारत में सरकारें तो आज भी उन्हीं के गुलाम चला रहे हैं..फर्क क्या आया है..पहले हम देशवासी अंग्रेजों के गुलाम थे..अब अंग्रेजों के गुलामों के गुलाम हैं.. आजादी तो भारत के उन लोगों को मिली है..जो बिलकुल अंग्रेजों के ही अंदाज में देश और देशवासियों की संपत्ति को लूट सकते हैं..
तो जो लूट रहे हैं..आजाद हैं..लुट रहे हैं..गुलाम हैं..वो भी गुलामों के गुलाम..    

पहले पूरी दुनिया में डिंडोरा पीट दिए कि भारतीय जहां जाते हैं..ऐसी ही हरकत करते हैं और अब कह रहे हैं कि पोलिस को उनके खिलाफ सबूत नहीं मिले..

इन गोरों को कौन समझाये कि..(धर्मेन्द्र की गालियां देने का मन होता है..)..हर साल जब आईपीएल होता है तो सबसे ज्यादा गोरी नचनियां तुम लोगों के कुनबों से ही आती हैं..और तुम हमको मॉरल सिखाओगे..

अब तो देश में 56 इंच के सरकार है..इसके पहले वाली याने अटल जी वाली के पास तो राष्ट्रवादी बनने के लिए पूरा बहुमत नहीं था..

अब तो है..यही मौक़ा है..सरकार जी बोल दो..नहीं भेजेंगे अब कामनवेल्थ वामनवेल्थ किसी को..न ब्रिटेन जायेंगे..न यूरोप जायेंगे और न ही यूएसए जायेंगे..न अपना पैसा देंगे..और न आपका पैसा लेंगे..उनको भी बता दो और देशवासियों को भी बता दो..
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खून पसीने की मिलेगी तो खाएंगे..नहीं तो यारो भूखे ही सो जाएंगे"

ये जासूसी फासूसी पर घुड़की फुड़की क्या होती है..अपने ही किसी पत्रकार से प्रश्न करवा कर बोल देने से कोई घुड़की होती है क्या..

अरे वो ठहरे व्यापारी देश..एकदम बिजनेस माईंडेड..आप तो कह दो हमको नहीं चाहिए एफडीआई फेफडीआई..न डिफेन्स में..न इंश्योरेंस में और न बैंक में..और अटल जी ने जो बुलवा ली थी..इंश्योरेंस में..सिगल ब्रांड में...वो थोड़ा कम राष्ट्रवादिता का मामला था..हम पूरे 56 इंची राष्ट्रवादी हैं..अब आप अपनी पूरी पोरी एफडीआई समेटो और यूके, यूरोप और यूएएसए अपनी मंदी को खुद संभालो..

अरे आप काहे को उनका पाप ढोयें..एक तो वे हमारे देश के बड़े बड़े लोगों की बचत चुरा कर ले जाते हैं और ऊपर से सबको कहते फिरते हैं..भारत में सबसे ज्यादा गरीब बसते हैं..सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे भारत में हैं..महिलाएं सबसे ज्यादा भारत में कुपोषित हैं..

अरे एक तो आप ये एफडीआई वगैरह से कमाई करवा कर उनके घर भरने का इंतजाम करते हैं..उसके लिए आपको हमें और हमारे लोगों को तकलीफें देकर कितना मानसिक कष्ट उठाना पड़ता है .उसका अहसान मानना तो दूर..आपकी ही कमियाँ निकालते रहते हैं..ज़रा जोर से डपट दीजिये..फिर देखिये कमाल..

इधर की चिंता मत कीजिये..अभी देश के लोग आपके लिए पागल हैं..एकदम..जैसे बहुत समय पहले इंदिरा जी के लिए हुए थे..राजीव के लिए हुए थे..एक समय अन्ना के लिए थे..फिर केजरीवाल के लिए थे..या फिर गणेश जी को दूध पिलाने के लिए हो जाते हैं..या रामदेव बाबा के लिए ..या आशाराम बापू के लिए रहते हैं..ठीक वैसे ही आज आपके लिए हैं..और सब अभी आपकी मुठ्ठी में हैं..अकबर से लेकर बीरबल तक सारे पत्रकार भी अभी आपकी जेब सॉरी मुठ्ठी में ही हैं..बस रास्ता एकदम साफ़ है..आप कहेंगे तो देश के लोग सप्ताह में एक दो दिन भूखे भी रह लेंगे..अब सप्ताह में दो दिन उपवास/वृत तो रखना ही चाहिए न..

सरकार जी पहली बार कोई राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री बना है..बहुत उम्मीद है..करके दिखाईये  न..कल लोकसभा में खड़े होकर कह दीजिये कोई एफ़डीआई नहीं चाहिए..और आगे से कोई कामनवेल्थ नहीं..
ये महंगाई फहंगाई की आप बिलकुल चिंता मत करिए..टमाटर मंहगा हो गया..कुछ दिन नहीं खायेंगे..प्याज महंगी हो जायेगी..उसे भी कुछ दिन नहीं खायेंगे..गेहूं,दाल,चावल कुछ भी महंगा हो जाए..कुछ दिन नहीं खायेंगे तो सबके होश ठिकाने आ जायेंगे..नहीं चाहिए कलर टीव्ही..ब्लेक से काम चलेगा..क्या केवल कालाबाजारी, जमाखोर और लुटेरे ही ब्लेक से काम चलाते हैं..हम भी चला सकते हैं..बस आप हमारे पाले से खेलो जी..
माँ कसम एक बार हो जाए पूरा राष्ट्रवाद वर्सेज लूटवाद.. आप तो कल दूरदर्शन पर आओ जी..और कह दो सबसे..
“न एफडीआई के लिए हाथ जोड़ेंगे..न कामनवेल्थ जायेंगे..                 
खून पसीने की मिलेगी तो खाएंगे..नहीं तो यारो भूखे ही सो जाएंगे"

अरुण कान्त शुक्ला
5 जुलाई, 2014  

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